साधना - मार्ग में एवं सामान्य जीवन - पथ पर भी मनुष्य विविध भाँति के संकटों से घिरता है जिससे उबरने के लिए भिन्न - भिन्न देवी - देवताओं से रक्षा की प्रार्थना की जाती है । दैहिक, दैविक, भौतिक आपदाओं के शस्त्र से रक्षा करने में जो सर्वथा समर्थ हो वही कवच कहलाता है । इन्हें मनुष्य सिद्ध ॠषियों के कृपा प्रसाद से ही प्राप्त करता है । कानन द्वारा प्रकाशित इस सोलहवें ग्रंथ-पुष्प में योगर्षि श्रीकपिल प्रणीत ऐसे ही सात देवी - देवताओं का सिद्ध - कवच संग्रहित है जिसका विधिपूर्वक पाठ पाठकों के हेतु कल्पवृक्ष की तरह ही सर्वकामना पोषक है ।
आशा है कि ईश्वरप्रेमीजन, आर्तजन, दीन-दुखीजन अपने आराध्य इष्टों के कवच-पाठ से स्वयं को रक्षित कर अभिलषित वर की प्राप्ति करेंगे ।
तृतीय संस्करण
सकल अभीष्ट की सिद्धि देने में सक्षम कवच संग्रह का अनुशीलन अत्यल्प समय में ही अधितर भाग्यवानों के द्वारा हुआ फलस्वरुप तीन साल के बाद ही इसके तृतीय संस्करण का संयोग हमें हर्षित कर रहा है । आशा करतें हैं कि लोक कल्याणार्थ प्रकाशित यह लघु सदग्रंथ अपनी अचूक कृपा से त्रिताप का शमन करता रहेगा ।