प्रेत-जीवन सदा से मानवीय जिज्ञासाओं के लिए कौतुहल का विषय रहा है । प्रस्तुत ग्रंथ में योगर्षि श्री कपिल की योगदृष्टि से प्रेत-रहस्य का प्रकाशन किया जा रहा है । इनमें सन्निहित सामग्री उन साधकों के लिए विशेषतया उपयोगी है जो अंतरंग साधना-पथ में सूक्ष्मानुभूतियों को प्राप्त करते हैं। उन्हें प्राप्त अनुभवों का द्रष्टा योगियों के द्वारा उद्घाटित सत्य के परिप्रेक्ष्य में परीक्षण करना चाहिए । इसके अलावा, आम मनुष्य भी प्रेत-बाधाओं से जाने-अनजाने जूझते रहते हैं, उन्हें भी अपनी बाधाओं की प्रकृति और निराकरण के उपाय को अपनाने में उपलब्ध सामग्री से सहायता प्राप्त हो सकती है । आशा है कि श्रीकपिल कानन द्वारा प्रकाशित यह अष्टम आध्यात्मिक-ग्रंथ-पुष्प मरणोत्तर जीवन के उन गूढ़ रहस्यों का उद्भेदक होगा जिनसे परिचय पाकर पृथ्वीवासी परलोक सुधार सकते हैं ।