श्री कपिल कानन का यह प्रतीक आत्म-चेतना को ब्रह्य आकाश का द्योतक है । चिदाकाश के मध्य उड़ता हुआ हस मुक्त आत्मा का प्रतीक है । फन फैलाये सर्प मातृशक्ति कुंडलिनी की जाग्रत अवस्था का प्रतीक है । सूर्य- पिंगला नाड़ी, ज्ञान, चेतना और सत् का प्रतीक है। चंद्र- इंगला नाडी, प्रेम, आनंद और शांति का प्रतीक है । इन दोनों की समान उपस्थिति विशुद्ध आकाश में लीला और ज्ञान के मिलन का प्रतीक है । सबसे उपर स्थित तारा सुषुम्ना नाडी, परब्रह्म की अनुग्रहकारिणी शक्ति का ध्यान के विषय के रूप में अवतरण का प्रतीक है । इन्हें घेरते हुए पंचभूज प्रतीक है पंचभूत की विशुद्ध अवस्था का । 'ॐ कं ब्रह्म खं ब्रह्म' साम उद्घोष करता है- यह ब्रह्म आनन्द रूप और आकाश रूप है ।